यह जहर न जाने कितनी
बलियां और लेगा?
जाने कितनी माँ बहनों के
हृदय तडपायेगा.
कब तक होता रहेगा
मानवता का नरसंहार ?
कब तक खंडित रहेगा
मेरे स्वदेश का यह दुलार
क्या कभी नहीं हो पायेगा
भाई का भाई से प्यार ?
क्या टुकडो में बट जायेगी
कश्मीरी सुषमा की बहार ?
क्यों प्यार बाटते हो सबका
क्या तनिक भी तुमको क्षोभ नहीं ?
राम रहीम की वाणी क्या थी
उसका कोई सोच नहीं .
बंद करो यह भूल भुलैया
झटको इन तुच्छ विचारों को
यह सारा भारत अपना है
मत सोचो देश बाटने को .
आतंकवाद की यह ज्वाला
जैसे ही बुझ जायेगी
भाईचारे से हर्षित हो
यह वसुधा दीप जलायेगी .
पूर्णिमा बाजपेयी त्रिपाठी
109/191 ए, जवाहर नगर कानपुर 208012
मो. 8707225101
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