तू मेरी आँखों से देखे
मैं तेरी आँखों से देखूं
बड़ा ही प्यारा मंजर है
जी चाहे दूर तलक देखूं .
सुहाने दिन, सुहानी रात
और सपने सलोने हैं
वो पहली प्रीत की ख़ुशबू
इन आँखों में संजोने है.
कुछ गहरी मुलाकातें हैं
बड़ी प्यारी सी बातें हैं
चलो तो दूर तक साथी
नहीं फिर वापस आतें हैं
तुम्हारा साथ है प्यारा
तुम्हारा प्यार है प्यारा.
बस तुम ही तुम निगाहों में
समां जाओं इन बाहों में
तुम्हे मैं कैद कर लूंगी
इन साँसों में समां लूंगी
तुम्ही-तुम मेरी हस्ती पर
तुम्ही-तुम दिल की बस्ती पर
बिना मांगे ही दे दूंगी
तुम्हे अधिकार मैं सारा.
तुम मेरे पास आओ तो
आकर मुझमे समाओ तो
मैं दरिया बन तुम्हे अपने
मन सागर में मिला लूंगी
पूर्णिमा त्रिपाठी
मैं तेरी आँखों से देखूं
बड़ा ही प्यारा मंजर है
जी चाहे दूर तलक देखूं .
सुहाने दिन, सुहानी रात
और सपने सलोने हैं
वो पहली प्रीत की ख़ुशबू
इन आँखों में संजोने है.
कुछ गहरी मुलाकातें हैं
बड़ी प्यारी सी बातें हैं
चलो तो दूर तक साथी
नहीं फिर वापस आतें हैं
तुम्हारा साथ है प्यारा
तुम्हारा प्यार है प्यारा.
बस तुम ही तुम निगाहों में
समां जाओं इन बाहों में
तुम्हे मैं कैद कर लूंगी
इन साँसों में समां लूंगी
तुम्ही-तुम मेरी हस्ती पर
तुम्ही-तुम दिल की बस्ती पर
बिना मांगे ही दे दूंगी
तुम्हे अधिकार मैं सारा.
तुम मेरे पास आओ तो
आकर मुझमे समाओ तो
मैं दरिया बन तुम्हे अपने
मन सागर में मिला लूंगी
पूर्णिमा त्रिपाठी
सुन्दर एवं भावपूर्ण कविता
ReplyDeleteशुभकामनाये
nice
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