चाहत है तो संघर्ष है ,
संघर्ष है तो रास्ते है
कुछ ऊँचे - नीचे
कुछ टेढ़े - मेढे
कुछ सीधे - सच्चे .
जीवन एक कर्मयुद्ध है ,
लड़ाई तो लड़नी है,
परन्तु कर्त्तव्य भी करना है .
जिंदगी भावनाओं का ज्वार है
मिटने नहीं देना है ,
महसूस भी करना है .
जिंदगी एक नाट्य रूपांतर है
हमें प्राण फूंक
जीवन्तता रखनी है .
जिंदगी दूसरों का कर्ज है
खुद को लुटा देना है ,
दूसरों कि एक मुसकान पर .
जिंदगी स्वयं के लिए
वरदान है .
भरने है
कुछ रंग अपने लिए.
सहेजनी है कुछ स्मृतियाँ
छीनने है कुछ पल ,
जो अपने ,सिर्फ अपने लिए हों .
जिंदगी के संघर्ष
सारी संवेदनाएं ,भावनाएं
जुड़कर बनायेंगी नया अध्याय
जो जिंदगी को देगा
एक नया रूप.
पूर्णिमा त्रिपाठी
Sunday, November 21, 2010
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- PURNIMA BAJPAI TRIPATHI
- Kanpur, Uttar Pradesh, India
- मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.