नमः वीणा धारिणी
नमः वीणा धारिणी
दुख कलेश निवारिणी,
मेरे सारे पातक हर लो
मेरे मन मंदिर को वर लो॥
मातु तुम्हारी अनुपम गाथा
सुनकर सभी झुकाएं माथा,
मेरी वाणी लेखनी बनो तुम
मेरी बनाओ छवि अनूपम्॥
दे दे मां मुझको तू सहारा
मांगूं तुझसे ज्ञान पिटारा,
विद्द्या की मां हो अधिष्ठात्री
दुर्गा तुम हो तुम्ही हो गायत्री॥
पूर्णिमा त्रिपाठी बाजपेयी
109/191ए, जवाहर नगर कानपुर
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