Monday, January 15, 2024

 

राम तुम आधार हो

राम तुम आधार हो

राम तुम व्यवहार हो,

तुम अहिल्या की प्रतीक्षा

शबरी के सत्कार हो॥

जिंदगी की हर प्लावन का

राम तुम तटबंध हो,

मन का मन से हो मिलन

तुम वह सुखद अनुबंध हो॥

राम तुम अभिमान हो

उच्चतम प्रतिमान हो,

संस्कारों की बही के

तुम सुखद गुणगान हो॥

कल्पना कह कर तुम्हें

हम दूर कर सकते नहीं,

हम तुम्हारे अंश हैं

तुम हमारे प्राण हो॥

राम तुम अभिमान हो

उच्चतम प्रतिमान हो।।


पूर्णिमा त्रिपाठी बाजपेई

109/164 जवाहर नगर कानपुर

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Kanpur, Uttar Pradesh, India
मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.