जरूरत है जरूरत है तुम्हारी इस देश को ,
जरूरत है तुम्हारे संकल्पों की,
तुम्हारे आदर्शो की ,
जरूरत है तुम्हारे अन्दर अनुशाशन की,
और इस देश को स्वक्ष प्रशाशन की.
जरूरत है तुम्हारी निष्ठा की ,
तुम्हारे ज्ञान और विज्ञानं की।
जरूरत है माँ मात्रभूमि मात्रभाषा ,
पर अभिमान की।
जरूरत है तुम्हारे मुखमंडल
पर मंद स्मित हास की,
जरूरत है तुम्हारी भावनाओं ,
संवेदनाओं में सुवास की।
जरूरत है तुम्हारे संघर्ष ,
क्षमता और अविश्राम की।
जरूरत है तुम्हारी गति में
न लगने वाले विराम की।
इसलिए हे देश के कर्णधारों,
अपनी क्षमता को पह्चानों,
अपने विश्वास को मानो ,
और पहुचा दो तिरंगे को
अनन्त आकाश में।
पूर्णिमा बाजपेयी त्रिपाठी
109/191 ए, जवाहर नगर कानपुर- 208012
मो. 8707225101
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