तुम्हारे सृजन का पथ
अगर मेरी आत्मा के
द्वार से गुजरता है
तो यह अजर- अमर
तुम्हारे सृजन को
सतत प्रवाहित सरिता बना
अपने में मिला लेगी .
तुम्हारे सृजन का पथ
मेरे ह्रदय के द्वार से
गुजरता है तो शब्दों को
प्रीति में डुबो माधुर्य
की लेखनी से सवार
आकंठ डूबी भावनाओं
का उपहार देगी.
तुम्हारे सृजन का पथ
मेरे गात से गुजरता है
तो इस शरीर को
तपोभूमि बना देह की
आग से तपा पूर्णता से
भर तुम्हारे सृजन को
अपरिमित होने का
अहसास देगी .
पूर्णिमा त्रिपाठी
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About Me
- PURNIMA BAJPAI TRIPATHI
- मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.
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