Wednesday, March 3, 2010

मेरी भारत सरकार से विनम्र प्रार्थना है की यदि वो महिलाओं की भलाई  के लिए कुछ करना चाहती है तो वो शराब पर पूर्ण पाबन्दी लगा दे जिसके फलस्वरूप एक आम महिला की तकलीफ कुछ हद तक कम हो जाएगी .मेरी काम वाली अपनी तीन बेटिओं के साथ मिलकर काम करती चारों ठीक-ठाक कम लेती है पर उनका शराबी पति जो रिक्शा चलाता है अपनी पूरी कमाई तो शाम को शराब में उड़ा ही देता है और जो बेचारिओं ने तिनका तिनका करके घर गृहस्थी का सामान जोड़ा होता है उसे भी तहस -नहस कर देता है उस पर तुर्रा ये की अपनी ही कमाई का तो पीता हूँ .ये किसी एक सोनी ,रामप्यारी या चम्पाकली की दास्तान नहीं है बल्कि लाखो सोनियों,राम्प्यारिओं,व चम्पकलियो की दास्तान है ये रोज -रोज मर- मर कर जीने की कहानी है . ये वो आधी दुनिया है जिसके काँधे इस देश और समाज का आधा बोझ उठाए हुए है .यह समस्या सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है वरन तथा कथित पढ़े लिखे मध्य वर्गीय और निम्न मध्य वर्गीय तबके की महिलाओं को  भी इस समस्या से दो चार होना ही पड़ता है .जगह जगह   खुली  हुई   मधुशालाएँ  बंद   होनी  ही चाहियें .मानसिक और शारीरिक रूप से जो कस्ट इन महिलाओं को उठाना पड़ता है वह समाज की अपूर्णीय छति है .       

No comments:

Post a Comment

Search This Blog

Pages

My Blog List

Followers

Blog Archive

About Me

My photo
Kanpur, Uttar Pradesh, India
मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.