सदियों की आराधना
और साधना पूरी हुयी
आ रहे रघुकुल शिरोमणि
आ रहे.......
सुभग,सुंदर,सुखद शीतल
गीत मंगल गा रहे
आ रहे.......
सज गये हैं द्वार चौखट
कुंज गलियारे सजे
सज गयीं अट्टालिकाएं
घर के चौबारे सजे
भावना कर्तव्य निष्ठा
के समर्पण आ रहे
आ रहे........
पूर्णिमा त्रिपाठी, बाजपेयी
8707225101
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