Tuesday, September 12, 2023

 

सारे जहां से न्यारी किताबें

किताबों की दुनियां

बड़ी ही सजीली बड़ी ही रंगीली,

निर्जन हृदय में हम सबके मन में

मीठा सा रस घोलती हैं किताबें॥

दादी औ नानी की प्यारी कहानी

सपनों के राजा औ परियों की रानी,

सबकी कहानी सबकी ज़ुबानी

खुद में समेटे सुनाती किताबें॥

दुनियां का विज्ञान दर्शन समेटे

दुनियां को दुनियां बनाती किताबें॥

हारे पलों मे थक कर जो बैठे

कुछ मीठे बैना सुनाती किताबें,

सबको लुभाती प्यारी किताबें

सारे जहां से प्यारी किताबें

सारे जहां से न्यारी किताबें॥

 

पूर्णिमा त्रिपाठी बाजपेयी

109/191ए, जवाहर नगर कानपुर

 मो. नं 8707225101

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मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.