सारे जहां से न्यारी किताबें
किताबों की दुनियां
बड़ी ही सजीली बड़ी ही रंगीली,
निर्जन हृदय में हम सबके मन में
मीठा सा रस घोलती हैं किताबें॥
दादी औ’ नानी की प्यारी
कहानी
सपनों के राजा औ’ परियों की रानी,
सबकी कहानी सबकी ज़ुबानी
खुद में समेटे सुनाती किताबें॥
दुनियां का विज्ञान दर्शन समेटे
दुनियां को दुनियां बनाती किताबें॥
हारे पलों मे थक कर जो बैठे
कुछ मीठे बैना सुनाती किताबें,
सबको लुभाती प्यारी किताबें
सारे जहां से प्यारी किताबें
सारे जहां से न्यारी किताबें॥
पूर्णिमा त्रिपाठी बाजपेयी
109/191ए, जवाहर नगर कानपुर
मो. नं 8707225101
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