यह जहर न जाने कितनी
बलियां और लेगा ?
हृदय तड्पाएगा .
कब तक होता रहेगा
मानवता का नरसंहार ?
कब तक खंडित रहेगा
मेरे स्वदेश का यह दुलार
क्या कभी न हो पायेगा
भाई का भाई से प्यार ?
क्या टुकड़ो में बट जाएगी
कश्मीरी सुषमा की बहार
क्यों प्यार बांटते हो सबका
क्या तनिक भी तुमको छोभ नहीं ?
राम रहीम की वाणी क्या थी ?
उसकी कोई सोंच नहीं ,
बंद करो यह भूल - भुलैया
झटको इन तुच्छ विचारों को.
यह सारा भारत अपना है
मत सोचो देश बाटने को.
आतंकवाद की यह ज्वाला
जैसे ही बुझ जाएगी ,
भाई चारे से हर्षित हो
यह वसुधा दीप जलाएगी .
पूर्णिमा त्रिपाठी
Behtreen rachnaa
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