Monday, March 15, 2010

जागो


जागो  अब  वक़्त  आ  गया  है ,



कुछ  कर  दिखाने  का


इंसानियत  के  नाम  का ,


मानवता  के  कल्याण  का ,



सच्चे  इन्सान  का .



जन - जन   के  उत्थान   का ,



मात्रभूमि  के  स्वाभिमान  का .



ठहरो   यह  वक़्त  नहीं ,



एक  दूजे  के  अपमान  का .



जागो  फिर  वक़्त  आ  गया  है ,



सीमा  पर  जवान  का


,खेतों  पर   किसान   का


रखवाली   के  मचान  का


सजग  प्रहरी  बन  करें  सुरक्षा  ,


अविचल  अखंड  हिंदुस्तान  का .

पूर्णिमा त्रिपाठी

1 comment:

  1. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

    बहुत खूब, लाजबाब !

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मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.