जागो अब वक़्त आ गया है ,
कुछ कर दिखाने का
इंसानियत के नाम का ,
मानवता के कल्याण का ,
सच्चे इन्सान का .
जन - जन के उत्थान का ,
मात्रभूमि के स्वाभिमान का .
ठहरो यह वक़्त नहीं ,
एक दूजे के अपमान का .
जागो फिर वक़्त आ गया है ,
सीमा पर जवान का
,खेतों पर किसान का
रखवाली के मचान का
सजग प्रहरी बन करें सुरक्षा ,
अविचल अखंड हिंदुस्तान का .
पूर्णिमा त्रिपाठी
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब, लाजबाब !