Tuesday, June 24, 2025

 ऊधौ का निर्गुण समेटे 

प्रेम के सब रस लपेटे

बांसुरी की तान पर, 

कृष्ण के आह्वान पर 

ब्रज नीलकंठी हो गया॥


पूर्णिमा त्रिपाठी, बाजपेयी

8707225101

 कंधे जिनके सिंहों से

चौड़ी है जिनकी छाती,

वतन सुरक्षा के हित

आती है जब पाती॥

सारा ममत्व लेकर

मां धैर्य को जगाती,

उन्नत ललाट पर तिलक

विजयश्री का लगाती॥

उम्मीदें और आशाएं

प्यार से समझाती,

देती विदायी हंसकर

आशीष भी लुटाती॥

वीर सिपाही की मां

अपने अश्रु छिपाती,

वीर प्रसूता जननी 

शौर्य त्याग समझाती॥

जिनकी ललकारों के आगे

हैं, शत्रुगण घबराते,

मां की धानी चूनर में

तारों की किरन लगाते॥

एक एक तृण का ऋण

लौटाने को उमगाते,

भारत के बेटे हैं ये 

भारत का मान बढ़ाते॥


पूर्णिमा त्रिपाठी, बाजपेयी

8707225101



 सदियों की आराधना 

और साधना पूरी हुयी

आ रहे रघुकुल शिरोमणि

आ रहे.......

सुभग,सुंदर,सुखद शीतल 

गीत मंगल गा रहे

आ रहे.......

सज गये हैं द्वार चौखट

कुंज गलियारे सजे

सज गयीं अट्टालिकाएं

घर के चौबारे सजे

भावना कर्तव्य निष्ठा

के समर्पण आ रहे

आ रहे........


पूर्णिमा त्रिपाठी, बाजपेयी

8707225101

 गुरू ज्ञान है


गुरू ज्ञान है

गुरू ज्ञान है, गुरू मान है

गुरू शब्द ही महान है,

गुरू आत्मा परमात्मा

गुरू मनुज का अभिमान है॥

गुरू ज्ञान है

गुरू गीत है गुरू मीत है

गुरू नीति है गुरू रीति है,

गुरू सम्पदा है ज्ञान की 

गुरू सद्गुणों की प्रीत है॥


पूर्णिमा त्रिपाठी,बाजपेयी 

8707225101

Search This Blog

Pages

My Blog List

Followers

Blog Archive

About Me

My photo
Kanpur, Uttar Pradesh, India
मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.