आओ मिलकर दिया जलाएं
सत्य प्रेम करुणा से पूरित
कर्म और निष्ठा से सिंचित,
आओ मिल एक दिया जलाएं
अंधियारे को दूर भगाएं।
जीवन के झंझावातों में
चलते-चलते राह कंटीली,
उन राहों में पुष्प खिलाएं।
सबकी राहें सुगम बनाएं
आओ मिल एक दिया जलाएं।
एक दिया मां के सपूत को
जिससे जननी जन्मभूमि है,
एक दिया उन देवदूत को ,
लौट के फिर जो घर ना आये
आओ मिल एक दिया जलाएं।
एक दिया उस कर्मवीर को
जो धन-धान्य धरा में भर दे
खेतों में लहराएं बाली,
झूम-झूम कर पौधे फल दें।
अंतस का अंधियार मिटाएं
आओ मिल एक दिया जलाएं।
एक दिया शिक्षा का प्रज्ज्वल
नयी-नयी तकनीकों का बल,
एक दिया समरसता का हो
विश्वगुरू भारत बन जाए
आओ मिल एक दिया जलाएं।
एक दिया मेरे हिस्से का
गैर बराबरी के किस्से का
अब तो करो बराबर भाई,
क्यों तुम अपने औ’ मै पराई
बेटी की पीड़ा चिल्लाई।
अपनेपन का दिया जलाएं
आओ मिल एक दिया जलाएं।
अपने लिये जिया है हर क्षण,
परहित श्वास-श्वास का लेखा
जी लें तो फिर जश्न मनाएं।
विश्व रूप राघव की धरती
आशा जहां कुलाचें भरती,
इस धरती को स्वर्ग बनाएं
आओ मिल एक दिया जलाएं।
पूर्णिमा त्रिपाठी
109/191 A
जवाहर नगर कानपुर 208012
मो.
8707225101
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