Thursday, January 21, 2010
ओल्ड एज होम
हमें ओल्ड एज होम की कतई भी आवश्यकता नहीं है यदि ये बढ़ रहे है तो यह हमारे मानव समाज के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है .जो माता पिता हमें ऊँगली पकर कर चलना सिखाते है उनके बुढ़ापे में हम उन्हें सम्मान के साथ रख नहीं सकते धिक्कार है हमें . आज बढ़ते हुए ओल्ड एज होम कहानी कह रहें है हमारी मरती हुयी संवेदनाओं की कितना सुरक्षित महसूस करते थे हम दादा जी की सीख से दादी जी के लाड से चाचा -चाची ताऊ -ताई मौसा -मौसी की देख भाल से माता-पिता के प्यार से पर संकुचित होती भावनाओं और मरती संवेदनाओं के दौर में सब कुछ कहीं खो सा गया है .ओल्ड एज होम की आवश्यकता केवल उन्हें है जो बेसहारा है जिनका कोई परिवार नहीं है उनके लिए सरकार और समाज को कुछ ऐसे स्थान बनाने चाहिए जिनमे वे शरण ले सकें .हमें वृद्धो की सुरक्षा व देखभाल का पुख्ता इंतजाम करना होगा.
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- PURNIMA BAJPAI TRIPATHI
- मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.
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