Tuesday, March 11, 2025

 होली गीत

अबके होली मैं पिया की हो, ली

टेसू गुलाल लगावत रसिया,

अंग लग्यो अंतर मन बसिया,

भीग गयो मेरा दामन चोली।

अबके होली मैं पिया की हो, ली।।

बचपन की सखियां और हमजोली

सब संग खेली होली अलबेली,

अबके होली मैं पिया की हो, ली।।

लाल, गुलाबी,नीला,पीला

अमलतास जैसा चटकीला,

दहके पलाश, ज्यों दहके तन मन

कोरा आंचल कर दिया गीला।।

प्रिय से रंगों की बात करूंगी

कुछ रंगों से ख़्वाब बुनूगी,

अनजाने रिश्तों में रंगकर

उन रिश्तों में रंग भरूंगी।।

जीवन की बगिया में चटकें

सुर्ख गुलाबों की जब कलियां,

मैं रंग दूंगी प्रेम गली की

साजन के मन की सब गलियां।।

हिरणी जैसे चपल दृग में

काजल का काला रंग सोहे,

मस्तक सुर्ख सिंदूरी सूरज

आनन की आभा मन मोहे।।

मैं खेलूं प्रीतम संग होली

अबके होली मैं पिया की हो, ली।।

कर पकड़े और बांह मरोड़ी

लाज का रंग मैं छिपा न पाई

ऐसा हो गया मुखड़ा मेरा

जैसे दूध में केसर घोली

अबके होली मैं पिया की हो, ली।।


पूर्णिमा त्रिपाठी बाजपेई

मोबाइल नंबर: 8707225101

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Kanpur, Uttar Pradesh, India
मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.