राम तुम आधार हो
राम तुम आधार हो
राम तुम व्यवहार हो,
तुम अहिल्या
की प्रतीक्षा
शबरी के सत्कार
हो॥
जिंदगी की हर प्लावन का
राम तुम तटबंध हो,
मन का मन से हो मिलन
तुम वह सुखद अनुबंध हो॥
राम तुम अभिमान हो
उच्चतम प्रतिमान हो,
संस्कारों की बही के
तुम सुखद गुणगान हो॥
कल्पना कह कर तुम्हें
हम दूर कर सकते नहीं,
हम तुम्हारे अंश हैं
तुम हमारे प्राण हो॥
राम तुम अभिमान हो
उच्चतम प्रतिमान हो।।
पूर्णिमा त्रिपाठी बाजपेई
109/164 जवाहर नगर कानपुर