हिंदी से हमारी और हिन्दुस्तां की आन है
आन- बान- शान और मान को बढ़ाइए ,
देश हो विदेश दूर देश में भी बैठकर
मातु मातृभाषा मातृभूमि गुण गाईये।
सरल सुग्रह संतोष और सुख दे
बतरस रस घोले हृदय में उतारिये
,
हिंदी भाषा जन भाषा आम भाषा रूप है
ऐसी हिंदी भाषा पे सौ जन्मों को वारिये।
कबीर जी ने बीज बोया सूर जी ने पानी दिया
बाबा तुलसी संग हिंदी धीरे-धीरे बड़ी हो गयी ,
भारत के इंदु भारतेंदु का आधार पाय
शैल सुता के समान हिंदी खड़ी हो गयी।
सूरज का ताप और चाँद की शीतलता
दोनों गुण एक हिंदी में ही पाइए,
चिर जीवी चिर युवा देववाणी महावाणी
ऐसी देवनागरी की लिपि अपनाईये।
हीन भावना मिटाओ खुद को बढ़ाओ आगे
ज्ञान और विज्ञान के तर्क समझाइये,
आदि गुरु आर्यभट्ट हिंदु में सिखाया बिंदु
बिंदु की महत्ता आज हिंदी में समझाइये।
पूर्णिमा बाजपेयी त्रिपाठी
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