Sunday, October 6, 2013

जरूरत है जरूरत है तुम्हारी इस देश को

जरूरत है जरूरत है तुम्हारी इस देश को ,

जरूरत है तुम्हारे संकल्पों की,

तुम्हारे आदर्शो की ,

जरूरत है तुम्हारे अन्दर अनुशाशन की,

और इस देश को स्वक्ष  प्रशाशन की.

जरूरत है तुम्हारी निष्ठा की ,

तुम्हारे ज्ञान और विज्ञानं की।

जरूरत है माँ मात्रभूमि मात्रभाषा ,

पर अभिमान की।

जरूरत है तुम्हारे मुखमंडल

पर मंद स्मित हास  की,

जरूरत है तुम्हारी भावनाओं ,

संवेदनाओं में सुवास की। 

जरूरत है तुम्हारे संघर्ष ,

क्षमता और अविश्राम की। 

जरूरत है तुम्हारी गति में 

न लगने वाले विराम की।

इसलिए हे देश के कर्णधारों, 

अपनी क्षमता को पह्चानों, 

अपने विश्वास को मानो ,

और पहुचा दो तिरंगे को 

अनन्त आकाश में।


पूर्णिमा बाजपेयी त्रिपाठी   

109/191 ए, जवाहर नगर कानपुर- 208012

मो. 8707225101 

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मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.