Wednesday, September 29, 2010

गाँधी बोले मैं आऊंगा

सत्य अहिंसा के नायक
सत्याग्रह के जो गायक 
खुली  पलक  के  स्वप्नद्वार से 
आकर यूँ बोले  मुझसे ,
मैं गाँधी भारत की आत्मा 
मेरा  अणु - अणु यहाँ व्याप्त है 
मेरे सपनो का सत्य सकल 
कण - कण यहाँ व्याप्त है .
स्थापित करने को रामराज्य 
मैं पुनह  एक दिन आऊंगा 
संगीनों के साए में भटके 
भारत की संवेदना जगाऊंगा .
आजादी के बाद देश की 
हालत भी सवरी है ,
विज्ञान - ज्ञान संपन्न हुआ 
गौरव - गरिमा भी निखरी है 
पर सत्य अहिंसा दया 
क्षमा के वादे टूटे है 
इंसा के इंसा होने के
 नेक इरादे टूटे  है
मैं आऊंगा भेद मिटाने 
मानवता का पाठ पढ़ाने
सत्याग्रह की अलख जगाने 
भारत माँ का दर्द बटाने.
अणु और परमाणु युद्ध
मैं रोक सकूंगा
पुनः कहूँगा राम राम
 हे राम| मगर भारत
 अक्षुण है, भारत के
क्षय को रोक सकूंगा 
ज्ञान और विज्ञान प्रबल हो 
यह बिगुल बजाऊंगा 
मैं गाँधी भारत की आत्मा 
मैं पुनः एक दिन आऊंगा.

पूर्णिमा त्रिपाठी    

 

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मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.