Friday, January 22, 2010

इक्कीसवी सदी और नारी

इक्कीसवी सदी और नारी की स्थिति पर प्रायः  सभी जगह यही चर्चा होती है की आज नारी पूर्ण स्वतंत्र है पर सही मायने में देखा जाय तो नारी की ज्यादातर स्थिति वैसी  की वैसी ही है जैसी की मध्य काल से चली आ रही है कुछ एक  अपवादों को छोड़कर शेष तो आज भी वंचनाओं और यातनाओं की शिकार है ,और तब तक रहेंगी जब तक सामाजिक परिवेश पूरी तरह नहीं बदलेगा .आज भी औरत चाहें वो कामकाजी हो या घरेलू नित्यप्रति असमानता व दुर्व्यवहार की शिकार होती है .चिंतनीय यह है की औरते ही औरतो पर घात प्रतिघात का कोई  अवसर  नहीं चूकतीं और  आग  में  घी  डालने का कार्य  करती है.आज भी महिलाओं की स्थिति बड़ी ही सोचनीय है वे प्रायः घरेलू हिंसा की शिकार होती है अपमान सहती है फिर भी परिवार और समाज के प्रति अपना फर्ज निभाती हैं .

Thursday, January 21, 2010

ओल्ड एज होम

हमें ओल्ड एज होम की कतई भी आवश्यकता नहीं है यदि ये बढ़ रहे है तो यह हमारे मानव समाज के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है .जो माता पिता हमें ऊँगली पकर कर चलना सिखाते है उनके बुढ़ापे में हम उन्हें सम्मान के साथ रख नहीं सकते धिक्कार है हमें . आज बढ़ते हुए ओल्ड एज होम कहानी कह रहें है हमारी मरती हुयी संवेदनाओं की कितना सुरक्षित महसूस करते थे हम दादा जी की सीख से दादी जी के लाड से चाचा -चाची ताऊ -ताई मौसा -मौसी की देख भाल से माता-पिता के प्यार से पर संकुचित होती भावनाओं और मरती संवेदनाओं के दौर में सब कुछ कहीं खो सा गया है .ओल्ड एज होम की आवश्यकता केवल उन्हें है जो बेसहारा है जिनका कोई परिवार नहीं है उनके लिए सरकार और समाज को कुछ ऐसे स्थान बनाने चाहिए जिनमे वे शरण ले सकें .हमें  वृद्धो की सुरक्षा व देखभाल का पुख्ता इंतजाम करना होगा.

Tuesday, January 19, 2010

कड़ाके की ठण्ड

पूरे उत्तरी भारत में कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है ऊपरी तबके के लोग तथा कुछ हद तक मध्य वर्ग के लोग इसे आसानी से झेल लेते है पर वे क्या करे जिनका ओढ़ना आसमान और बिछौना जमीन है न तो प्रकृति को उन पर दया आती है और न ही हमारे कथित सभ्य समाज को. इस समय आवश्यकता है की हम सभी अपनी सोई हुई संवेदना को जगाये और जिससे जो बन पड़े उनके लिए करने का प्रयास करे .कुछ कम्बल और कुछ अलाव कइयो को जीवन दान दे सकते है .हम जो भी है जहाँ भी है जितना कुछ कर सकते है करें , आइये हम सभी मिलकर अपने ही भाई बहनों को बचाने की जद्दोजहद करे.

वसंत पंचमी

वसंत पंचमी और हिंदी के महान पुरोधा कवि महाप्राण श्री सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के जन्म दिन पर सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं.

Search This Blog

Pages

My Blog List

Followers

About Me

My photo
मै पूर्णिमा त्रिपाठी मेरा बस इतना सा परिचय है की, मै भावनाओं और संवेदनाओं में जीती हूँ. सामाजिक असमानता और विकृतियाँ मुझे हिला देती हैं. मै अपने देश के लोगों से बहुत प्रेम करती हूँ. और चाहती हूँ की मेरे देश में कोई भी भूखा न सोये.सबको शिक्षा का सामान अधिकार मिले ,और हर बेटी को उसके माँ बाप के आँगन में दुलार मिले.